n



Wednesday, November 28, 2012

फेसबुक पर ज्यादा दोस्त मतलब ज्यादा तनाव

यदि आप फेसबुक पर नए-नए दोस्त बनाने में ज्यादा ही विश्वास रखते हैं तो जरा संभल जाइए। सोशल साइट्स पर दोस्तों का ज्यादा बड़ा सर्कल होने से आपको लोकप्रियता का अहसास जरूर हो सकता है, लेकिन यह आपको भारी तनाव भी दे सकता है।



एक नई रिपोर्ट के मुताबिक आपके फेसबुक फ्रेंड्स जितने ज्यादा होंगे आप उनको नाराज होने से रोकने या किसी तरह की गड़बड़ से बचने की उतनी ही कोशिश करेंगे और यह काफी तनाव भरा अनुभव होगा। यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग बिजनेस स्कूल की ओर से किए गए शोध में पाया गया कि किसी व्यक्ति के फेसबुक पर जितने ज्यादा दोस्त होंगे उससे किसी तरह का अपराध होने की आशंका भी उतनी ही ज्यादा होती है।



खासतौर से अपनी फेसबुक पर अपने नियोक्ताओं को जोडऩे या अभिभावकों को शामिल करने से अकाउंट होल्डर की चिंता काफी ज्यादा बढ़ जाती है। यह चिंता तब काफी ज्यादा बढ़ जाती है जब वह किसी विषय पर अपनी राय देता है और वह उसके ऑनलाइन फ्रेंड्स में से किसी एक या कुछ को पसंद नहीं होती है। जैसे फेसबुक पर धूम्रपान, शराब के नशे में धुत या असभ्य भाषा के इस्तेमाल जैसे पोस्ट फेसबुक पर दिखने से ये कुछ दोस्तों को पसंद नहीं भी आ सकते हैं।



रिपोर्ट के मुताबिक जब आपके फेसबुक फ्रेंड्स में उम्रदराज लोग शामिल होते हैं जो समस्या ज्यादा बढ़ जाती है क्योंकि उनकी सोच और उम्मीदें युवा फेसबुक फ्रेंड्स से काफी अलग होती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 55 फीसदी अभिभावक अपने बच्चों का फेसबुक पर पीछा करते हैं। इसी तरह 50 फीसदी से भी ज्यादा कंपनियों का दावा है कि वे उन लोगों को नौकरी पर नहीं रखते हैं जो उनके फेसबुक पेज से जुड़ा हुआ है। शोधकर्ताओं ने पाया कि फेसबुक पर कोई भी व्यक्ति सात अलग-अलग की सामाजिक पृष्ठभूमि वाले लोगों से जुड़ा होता है।



81 फीसदी फेसबुक यूजर्स की फ्रेंड्स लिस्ट में परिवार के लोग शामिल होते हैं। 80 फीसदी के भाई-बहन, 69 फीसदी के दोस्तों के दोस्त और 65 फीसदी के साथ उनके सहकर्मी जुड़े होते हैं। रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि फेसबुक पर लोग अपने मौजूदा जीवनसाथी के बजाय पूर्व जीवनसाथी से ज्यादा जुड़े होते हैं। 56 फीसदी फेसबुक यूजर्स अपने मौजूदा प्रेमी या पति-पत्नी के साथ जुड़े हैं, जबकि पूर्व जीवनसाथियों के साथ 64 फीसदी जुड़े हैं। इस रिपोर्ट के सर्वे में शामिल लोगों में ज्यादातर युवा हैं।



सर्वे के मुताबिक केवल एक तिहाई फेसबुक यूजर्स ही अपने फेसबुक प्रोफाइल में प्राइवेसी सैटिंग को शामिल करते हैं जिसके जरिए उससे जुड़ी सूचनाएं विभिन्न तरह के दोस्तों के लिए नियंत्रित रहती हैं। इस रिपोर्ट के लेखक बेन मार्डर का कहना हैकि फेसबुक अब एक बड़ी पार्टी की तरह इस्तेमाल हो रही है जहां आप अपने दोस्तों के साथ डांस कर सकते हैं, ड्रिंक कर सकते हैं या फिर फ्लर्ट कर सकते हैं। लेकिन आपके अभिभावकों, बॉस आदि की मौजूदगी इस पार्टी को आपके लिए परेशानी का कारण बना सकती है।

रिपोर्ट


यूनिवर्सिटी
ऑफ एडिनबर्ग बिजनेस स्कूल के शोध के मुताबिक फेसबुक पर जितने ज्यादा दोस्त होंगे अपराध आशंका भी उतनी ही ज्यादा है
फेसबुक पर अपने नियोक्ताओं को जोडऩे या अभिभावकों को शामिल करने से अकाउंट होल्डर की चिंता काफी ज्यादा बढ़ जाती है
करीब 55 फीसदी अभिभावक अपने बच्चों का फेसबुक पर पीछा करते हैं और 50 फीसदी कंपनियां अपने से फेसबुक पर जुड़े व्यक्ति को नौकरी नहीं देतीं
शोधकर्ताओं ने पाया कि फेसबुक पर कोई भी व्यक्ति सात अलग-अलग की सामाजिक पृष्ठभूमि वाले लोगों से जुड़ा
होता है
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि फेसबुक पर लोग अपने मौजूदा जीवनसाथी के बजाय पूर्व जीवनसाथी से ज्यादा जुड़े होते हैं

Thursday, November 8, 2012

आइये जानते हैं अल्ट्राबुक के बारे में

सोनी वायो डिओ 11 अल्ट्राबुक
यह अल्ट्राबुक अक्तूबर के आखिरी हफ्ते में बाजार में आई है। यह सर्फ स्लाइडर तकनीक पर काम करती है, जिसकी मदद से आप टच स्क्रीन से की-बोर्ड मोड या की-बोर्ड से टच स्क्रीन मोड पर जा सकते हैं। लेकिन अगर आप स्पीड के कायल हैं तो थोड़ा-सा मायूस हो सकते हैं, क्योंकि एक मोड से दूसरे मोड में जाते वक्त आपको कुछ इंतजार करना पड़ सकता है और आपकी उंगलियों को थोड़ी ज्यादा मेहनत भी करनी पड़ सकती है। इसकी एक कमी यह भी है कि इसमें ट्रैक पैड नहीं है। माउस की कमी पूरी करने के लिए आपको थिंक पैड से ही काम चलाना पड़ेगा। इसके बावजूद यह देखने में स्टाइलिश है और कई खास फीचर से लैस भी। इसकी 11.6 इंच की स्क्रीन पर आप 1,92071,080 रिजॉल्यूशन की तसवीरें आसानी से देख सकते हैं। वजन में यह काफी हल्की है। मात्र 1.3 किलोग्राम इसका वजन है। इसमें लगे खास सेंसर आपको सीधे स्क्रीन पर लिखने की सुविधा देते हैं। आप इसमें एसडी और एमएस दोनों कार्ड लगा सकते हैं। इसमें आपको आईडी प्रोटेक्शन सुविधा के साथ एंटी थेफ्ट टेक्नोलॉजी की सुविधा भी मिलेगी।
एसएस ताइची 21
इसकी सबसे खास बात यह है कि इसमें दो स्क्रीन हैं, जिस पर एक ही समय में दो लोग काम कर सकते हैं। बात करें दूसरे तकनीकी पहलुओं की तो इसमें दो आईपीएस हैं। स्क्रीन का साइज 11.6 इंच है। आप इस पर 1,92071,080 रिजॉल्यूशन की तसवीरें आसानी से देख सकते हैं। इसका वजन मात्र 1.27 किलोग्राम है। इसकी स्पीड आपको मायूस नहीं करेगी, क्योंकि इसमें आई 5 प्रोसेसर है। इसकी रैम 4 जीबी है। इसके साथ आपको मिनी डिस्पले की सुविधा मिलेगी। इसकी बैटरी 5 घंटे तक आसानी से काम करती है।
डेल एक्सपीएस 12
यों तो यह एक अल्ट्राबुक है, लेकिन आप इसे 12 इंच की विंडो टैबलेट की तरह भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इस पर 1,080 पी  रिजॉल्यूशन की तसवीरें आप आसानी से देख सकते हैं। इसकी स्क्रीन 12 इंच की है। इसका वजन बेहद हल्का है। मात्र 1.5 किलोग्राम की अल्ट्राबुक है यह। इसकी स्पीड आपका मन खुश करने के लिए काफी है, क्योंकि इसमें आई 5 प्रोसेसर है। एचडी 4000 वीडियो कार्ड से लैस यह अल्ट्राबुक इस तरह से डिजाइन की गई है कि बेहद स्टाइलिश लगती है।  
एचपी एन्वी एक्स 2
मात्र 11 इंच की इस अल्ट्राबुक में मैकेनिकल लैच और मैगनेट का कॉम्बिनेशन है, जिसकी मदद से इसकी टच स्क्रीन और कीपैड आपस में जुड़े रहते हैं। यह अल्ट्राबुक कई हाई प्रोफाइल फीचर से लैस है। इन फीचर में बीट ऑडियो डुअल स्पीकर, 8 मेगापिक्सल का कैमरा, माइक्रोफोन, यूएसबी पोर्ट और एसडी कार्ड रीडर जैसी तमाम सुविधाएं शामिल हैं। आईपीएस डिस्प्ले से लैस इस अल्ट्राबुक का वजन 1.41 किलोग्राम है। आप इस पर 1,3667 768 रिजॉल्यूशन की तसवीरें देख सकते हैं।  
एसर एस्पायर एस 7
इस अल्ट्राबुक की स्क्रीन 11.8 इंच की है, लेकिन टच स्क्रीन केवल 13.3 इंच की है। इसकी स्क्रीन को आप कई आयाम से खोल सकते हैं। आप इस पर 180 डिग्री के एंगल पर काम कर सकते हैं तो पूरी तरह से फ्लैट स्क्रीन का आनंद भी आप ले सकते हैं। इसका वजन भी काफी हल्का है। इसे बनाने में हल्के वजन वाले एल्युमीनियम का इस्तेमाल किया गया है। आप 1,92071,080 रिजॉल्यूशन की तसवीरें इस अल्ट्राबुक पर आसानी से देख सकते हैं। इसकी टच स्क्रीन उन लोगों के लिए बेहद अच्छी है, जो वीडियो गेम खेलने के शौकीन हैं। इस अल्ट्राबुक में भी आपको 4 जीबी की रैम मिलेगी।
खो गए? एप्स बताएंगी रास्ता!
नेव फ्री जीपीएस लाइव इंडिया: भारतीयों के लिए इसे बेस्ट नेविगेशन एप्लिकेशन माना जाता है। इसे ओपन स्ट्रीट मैप से मैप डेटा मिलता है। ऑफलाइन रहने पर भी यह एक सीमित सीमा तक काम करती है। इसके खास फीचर यह हैं कि आपके बताए गए पते को ढूंढ़ सकती है, आपकी पसंद के ठिकानों की जानकारी देती है और सोशल साइट्स पर आपकी लोकेशन को अपडेट करती है।  ग्लोबल नेविगेटर: इस एप्लिकेशन पर आप कई वेरायटी के मैप देख सकते हैं। गूगल मैप, ब्लिंग मैप और याहू मैप इनमें से प्रमुख हैं। इसकी खास बात यह भी है कि आप इसमें रास्तों के डायरेक्शन या पते सेव कर सकते हैं। इसकी खराब बात यह है कि आप इसका इस्तेमाल केवल ऑनलाइन रहते हुए ही कर सकते हैं। गूगल मैप: इस एप्लिकेशन की सबसे खास बात यह है कि यह बेहद आसानी से काम करती है। इस पर आप पते और लोकेशन सर्च कर सकते हैं। यह एप्स आपको जानकारी देती है कि अपनी जरूरत की लोकेशन पर आप पैदल कैसे जा सकते हैं। गाड़ी ड्राइव करके जाएं तो कौन-सा रास्ता बेस्ट रहेगा और पब्लिक ट्रांसपोर्ट से कैसे पहुंचा जा सकता है। ग्लिम्प्स: इसे मैप एप्स की जगह ऐसा सोशल नेटवर्क कहा जा सकता है, जिस पर लोकेशंस के अपडेट मिलते हैं। इसमें आप अपनी च्वाइस के लोगों को एड कर सकते हैं और उनसे अपनी यात्रा की कहानियां और लोकेशंस शेयर कर सकते हैं।
Share