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Tuesday, July 24, 2012

मैकडॉनल्ड्स भारत में आइटम के दाम 15 फीसदी तक घटाएगी

मैकडॉनल्ड्स भारत में अपने मेन्यू में शामिल आधे से ज्यादा आइटम के दाम 15 फीसदी तक घटाएगी. दाम घटाकर दुनिया की सबसे बड़ी फास्ट फूड चेन अपनी कमजोर पड़ती ग्रोथ को मजबूती देगी और विस्तार योजनाओं को आगे बढ़ाएगी. यह जानकारी एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी है. देश में अब तक की सबसे बड़ी प्राइसिंग स्ट्रैटजी के तहत बर्गर और फ्राइज चेन एंट्री लेवल और एक्स्ट्रा वैल्यू मील, ब्रेकफास्ट प्रोडक्ट्स और डेजर्ट जैसी श्रेणियों में कोर प्रोडक्ट्स के दाम 1 अगस्त से 6-15 फीसदी तक कम करेगी.

मैकडॉनल्ड्स इंडिया (नॉर्थ एंड ईस्ट) के मैनेजिंग डायरेक्टर और ज्वाइंट वेंचर पार्टनर विक्रम बख्शी ने बताया कि कंपनी अपनी बिक्री को बढ़ाना चाहती है, भले ही उसे कम मार्जिन मिले. अप्रैल-जून तिमाही में कंपनी की सेल्स ग्रोथ घटकर इकाई अंक में आ गई है, जबकि पिछले साल समान अवधि के दौरान कंपनी की सेल्स ग्रोथ दोहरे अंक में थी.

बख्शी ने बताया, 'खपत के स्तर पर दबाव है और लोग खर्च करना बंद कर रहे हैं.अब पहले जितने ग्राहक नहीं आ रहे हैं. ऐसे में अपने प्रोडक्ट्स के दाम घटाने का मकसद ग्राहकों को आकषिर्त करना है।' खाद्य पदार्थों की महंगाई और देश में आर्थिक ग्रोथ की सुस्ती के कारण ओवरऑल कंज्यूमर सेंटीमेंट पर असर पड़ा है. मौजूदा स्थितियों को देखते हुए लोग क्लोदिंग, फूड और एंटरटेनमेंट पर कम पैसा खर्च कर रहे हैं.

एनालिस्ट्स का कहना है कि दाम घटाने से मैकडॉनल्ड्स को अपनी सेल्स ग्रोथ बढ़ाने में मदद मिलेगी. कंसल्टिंग फर्म अर्न्स्ट एंड यंग की पार्टनर और नेशनल लीडर (रीटेल एंड कंज्यूमर प्रोडक्ट्स) पिनाकी रंजन मिश्रा का कहना है, 'कीमतों में की जाने वाली कटौती पर्याप्त है. मौजूदा आथिर्क माहौल को देखते हुए यह अच्छा कदम है।' प्रतिस्पर्धी कंपनियां भी इस बात से सहमत हैं कि ग्राहक काफी प्राइस सेंसिटिव हो गए हैं.केएफसी और पिज्जा हट चेन ऑपरेट करने वाली यम!

रेस्टोरेंट्स इंडिया के प्रवक्ता ने बताया, 'बढ़ती महंगाई के बीच कंज्यूमर पहले की तुलना में कहीं ज्यादा वैल्यू चाहते हैं।' दाम घटाने के साथ ही मैकडॉनल्ड्स मैकएग बर्गर भी लॉन्च करेगी. कंपनी इसे अपने हैप्पी प्राइस मेन्यू के तहत 25 रुपए की कीमत पर लॉन्च करेगी। बख्शी ने बताया, 'यह इस साल का हमारा सबसे बड़ा दांव है और इससे हम अपने एंट्री लेवल मेन्यू को और मजबूत बनाना चाहते हैं.

हैप्पी प्राइस मेन्यू (मैकडॉनल्ड्स के अमेरिका और दूसरे विकसित बाजारों में पॉपुलर डॉलर मेन्यू का इंडियन वर्जन) की चेन की टोटल सेल्स में करीब 30 फीसदी हिस्सेदारी है. यह पहला ऐसा मौका है, जब मैकडॉनल्ड्स एक साथ इतने प्रोडक्ट्स के दाम घटा रही है। बख्शी ने बताया कि कंपनी की विस्तार योजनाएं पहले जैसी ही रहेंगी, क्योंकि भारतीय माकेर्ट लगातार ग्रोथ करेगा। साल 2015 तक मैकडॉनल्ड्स अपने स्टोर्स की संख्या दोगुनी करके 500 करना चाहती है,

Friday, July 20, 2012

आ गया एक और सस्ता इंडियन टैबलेट

सस्ते टैबलेट बाज़ार में कार्बन और माइक्रोमैक्स के बाद एक और भारतीय मोबाइल निर्माता कंपनी ज़ेन मोबाइल ने अपना टैबलेट अल्ट्रा टैब-A100 लांच किया है। अल्ट्रा टेब वन एंडरॉयड आइसक्रीम सेंडविच पर काम करेगा। इसकी कीमत 6,199 रुपये रखी गई है।

टैब की स्क्रीन 7 इंच की है और इसका रिज़ोल्यूशन 800x480 है। A100 में 1.2 GHz का प्रोसेसर लगया गया है। रेम 512MB और इनबिल्ट मेनोरी 4जीबी की है जिसे माइक्रो एसडी कार्ड के ज़रिए 32 जीबी तक बढ़ाया जा सकता है। टैब में एक 1.3 मेगापिक्सल का कैमरा भी है।


टैब में कुछ प्री-लोडेड एप्स जैसे iBrowser, mBollywood और mig33 भी मौजूद हैं। इसके अलावा भी यूज़र्स गूगल प्ले के ज़रिए कई दूसरी एप्स डाउनलोड कर सकते हैं। कनेक्टिविटी के लिए यह टैब 3जी और वाई-फाई सर्पोटिव है।

Tuesday, July 17, 2012

(इंटनेटीय जासूस ) विश्वास न हो तो अभी ही एक प्रयोग करें ?

चंडीगढ़.चंडीगढ़ का अमित  हर दिन अपनी गर्लफ्रेंड से रात में सोते वक्त वीडियो चैट पर रोमैंटिक बातें करता है। बार-बार अपनी प्रेमिका को ‘आई लव यू’ कहता है। चैट पर ही किस लेता है।    तभी बगल वाले कमरे में सोए अभिजीत के पिता कहते हैं, बेटा आधी रात में किससे बात कर रहे हो? अब सो भी जाओ कल तुम्हारी परीक्षा है। अभिजीत अपने पिता से कहता है, नहीं पापा किसी से बात नहीं कर रहा हूं। बस अपने दोस्त से स्टडी मटेरियल के लिए बात कर रहा था।

 
यहां तो अमित  अपने पापा से झूठ बोल लेता है लेकिन इंटरनेटीय जासूस से नहीं बच पाता है। अमित  और उसकी गर्लफ्रेंड की हर बात सुनी जा रही है। इसका पता धीरे-धीरे  अमित को भी हो जाता है। उसके जी-मेल अकाउंट पर कई तरह के मैसेज आने लगते हैं। मसलन उसकी गर्लफ्रेंड की पसंदीदा जगहें, जिन गाड़ियों या ड्रेस को पसंद करती है या फिर शादी के बाद जहां हनीमून मनाना चाहती है इनसे जुड़ी ट्रैवल एजेंसियों, शॉपिंग सेंटरों और प्रोडक्टों के मेल आने लगते हैं।
 
पहले तो अभिजीत महीनों हैरत में रहा कि आखिर यह हो क्या रहा है। इन सारे सीक्रेट की जानकारी इन्हें कैसे पता है। वह कई दिनों तक अपनी गर्लफ्रेंड पर शक करता रहा कि कहीं मीनाक्षी किसी और से तो बात नहीं करती है। बाद में उसे इंटरनेटीय जासूस के बारे में पता चला तो वह दंग रह गया।

केस नंबर दो
पिछले हफ्ते अमृतसर के समीर  ने पोर्नोग्राफी वीडियो देखा। उसने तुरंत अपने ब्राउजर हिस्ट्री साफ करके मुक्ति पा ली। लेकिन यह समीर का भ्रम है कि उसके अलावे किसी और को पता नहीं है कि उसने पोर्नोग्राफी वीडियो देखा है। समीर की हरकत इंटरनेटीय जासूसों से नहीं बची। अगले दिन वह अपने ई-मेल पर कई पोर्नोग्राफिक वेबसाइट और मर्दानगी बढ़ाने वाली दवाओं के विज्ञापनों से दो चार हुआ तो उसकी आखें झेंप गईं। हालांकि समीर ने कुछ ज्यादा दिमाग नहीं लगाया और अपनी हरकत जारी रखा। उधर इंटनेटीय जासूस भी अपनी हरकतों में जुटे हैं।

केस नबंर तीन
जालंधर की परमजीत  कौर ने पैथोलॉजी लैब की वेबसाइट पर जाकर अपनी एक्सरे रिपोर्ट देखी और अगले ही दिन उनके ई-मेल अकाउंट पर स्पैम मेल का सिलसिला लग गया। तरह-तरह की काल्पनिक बीमारियों से मुक्ति दिलाने वाले उत्पादों और हॉस्पिटलों की सेवाओं के बारे में अपडेट किया जाने लगा। परमजीत सोचने लगीं कि जिस बात को उन्होंने अपने घर में भी किसी के नहीं बताया, वह इंटरनेट पर इतनी आम कैसे हो गई?

विश्वास न हो तो अभी ही एक प्रयोग करें  
यदि आपको इन बातों पर यकीन नहीं हो रहा है तो आज ही एक प्रयोग करें। गूगल अकाउंट लॉगइन करने के बाद अपने इंटरनेट ब्राउजर में किसी खास किस्म की पांच-सात वेबसाइटों के देख डालिए। मसलन यात्रा से संबंधित वेबसाइटें, किताबें से जुड़े ठिकाने या फिर सेहत से जुड़ी सेवाएं। फिर सबको बंद करने के बाद नए सिरे से लॉगइन कर ई-मेल सर्फिंग शुरु कीजिए। हो सकता है कुछ ही क्षण में आपकी नजर उसी क्षेत्र से जुड़े ऐसे विज्ञापन दिखाई देंगे। जाहिर है कि इंटरनेट पर जिन गतिविधियों को आप अपने बंद कमरे के भीतर चुपचाप बैठकर अंजाम दे रहे थे, वे कहीं न कहीं पूरी तरह बेपर्दा थी।

Sunday, July 15, 2012

खुद बैंक पासबुक अपडेट कर सकेंगे ग्राहक

फाइल_फोटो 9100002
बैंकों में जाकर पासबुक अपडेट कराने और पैसा जमा कराने के लिये लगने वाली लंबी कतारें जल्द ही बीते दिनों की बात हो जायेंगी.
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अब ग्राहकों को बेहतर सुविधा देने के लिये नवीन तकनीक अपना रहे हैं. इसमें ग्राहक अपनी पासबुक में लेनदेन का पूरा ब्यौरा खुद दर्ज कर सकते हैं.
बैंक शाखाओं में ऐसी साफ्टवेयर वाली कंप्यूटरीकृत मशीनें लग रहीं हैं जहां ग्राहक खुद अपनी पासबुक अपडेट कराने के साथ-साथ पैसा जमा करने,निकालने सहित विभिन्न सेवाओं को अपेक्षाकृत थोड़े समय में ही हासिल कर सकते हैं.
बैंकों का मानना है कि ऐसी आधुनिक सुविधाओं से जहां एक तरफ ग्राहकों को फायदा मिलेगा वहीं दूसरी तरफ बैंकों की लागत भी कम होगी.
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ इंडिया ने इस की शुरुआत करते हुए दिल्ली,मुबंई,कोलकाता,चेन्नई और अहमदाबाद में ऐसी सुविधाओं वाली कुछ अत्याधुनिक शाखाएं खोली है.
राष्ट्रीय राजधानी में करोलबाग और द्वारका समेत चार स्थानों पर ऐसी शाखाएं खोलीं गई हैं.
बीओआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने से कहा, ‘बैंक ने फिलहाल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र समेत चारों महानगरों एवं अहमदाबाद में अत्याधुनिक शाखाएं खोली हैं. ‘भविष्य की बैंक शाखायें’ नाम की इन शाखाओं में ऐसी मशीनें लगी हैं जहां ग्राहक स्वयं पासबुक अपडेट कर सकते हैं. इनमें बैंकिंग कामकाज निपटाने में ज्यादा समय नहीं लगता.’
परियोजना के पहले चरण में बैंक ने सितंबर तक देश भर में ऐसी 100 शाखाएं खोलने का लक्ष्य रखा है.
वरिष्ठ प्रबंधक स्तर के इस अधिकारी ने यह भी कहा कि आने वाले समय में बैंक के एटीएम के पास ऐसी मशीन लगाई जाएंगी जिससे ग्राहक जब चाहें अपनी सुविधा से बैंक पासबुक में लेनदेन का पूरा ब्यौरा दर्ज कर सकेंगे.
बैंक आफ इंडिया के अधिकारी ने कहा कि जिन शाखाओं में ऐसी मशीनें लगीं हैं और ग्राहकों के लिये बेहतर सुविधायें उपलब्ध कराई गईं हैं उनमें खाता खोलने की संख्या बढ़ गयी है.
अधिकारी ने यह भी कहा, इस तरह की मशीनें लगने से बैंकों की लागत भी काफी कम होगी.
उसके अनुसार ‘बैंक को एक कर्मचारी पर औसतन हर महीने 50 हजार रुपये खर्च आता है, जबकि मशीन की लागत 1.5 लाख रुपये तक है और इसके रखरखाव पर 5,000 का मासिक खर्च होगा. ऐसे में मशीन पर सालाना खर्च 2.10 लाख रुपये आयेगा जबकि कर्मचारी पर औसतन 6 लाख रुपये खर्च होता है.
बैंकिंग ऑनलाइन डॉट कॉम के प्रबंध निदेशक अमित कुमार के अनुसार बैंकों में आने वाली कुल शिकायतों में 40 प्रतिशत पास बुक अपडेट नहीं होने या स्टेटमेंट से जुड़ी होती हैं. ऐसे में इस प्रकार की तकनीक से इस प्रकार की शिकायतें कम होंगी.
बैंक शाखाओं को आधुनिक रुप दिये जाने के मामले में बीओआई के अधिकारी ने बताया, ‘इसके तहत कर्मचारियों की बैठने की जगह 80 प्रतिशत से घटाकर 20 से 40 प्रतिशत तक कर दी गयी है जबकि ग्राहकों के लिये स्थान मौजूदा 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 60 से 80 प्रतिशत तक किया गया है. इससे ग्राहकों को शाखा में आने और बैठने की पूरी व्यवस्था होगी और उन्हें अपना काम करवाने में आसानी महसूस होगी.
इसके अलावा इस प्रकार की शाखाओं में कतार प्रबंधन प्रणाली भी अपनायी गयी है ताकि किसी भी ग्राहक को अपने काम में ज्यादा वक्त नहीं लगे.
अधिकारी ने कहा, ‘हमने इन शाखाओं बुजुर्ग ग्राहकों और ज्यादा रकम रखने वाली प्रमुख ग्राहकों समेत सभी के लिये कतार प्रबंधन प्रणाली शुरू की है. इसके तहत उन्हें बैंक संबंधी काम करवाने में ज्यादा समय नहीं लगेगा.


Sunday, July 8, 2012

क्रिस गेल और मार्लन सैमुअल्स के शतकों की मदद से वेस्टइंडीज ने न्यूजीलैंड को हरा दिया

सूरज : क्रिस गेल और मार्लन सैमुअल्स के शतकों की मदद से वेस्टइंडीज ने सबीना पार्क में दूसरे वनडे क्रिकेट मैच में न्यूजीलैंड को 55 रन से हरा दिया।

फ्लोरिडा में ट्वेंटी-20 मैचों और गुरुवार को पहले वनडे के साथ लगातार तीन अर्धशतक जड़ने वाले गेल ने इस बाद एक कदम आगे बढ़ते हुए 125 रन की पारी खेली। उन्होंने 107 गेंद का सामना करते हुए आठ चौके और नौ छक्के लगाए।

सैमुअल्स ने भी 103 गेंद में सात चौकों और एक छक्के की मदद से 101 रन की पारी खेली, जिससे वेस्टइंडीज ने पांच विकेट पर 315 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया।

लक्ष्य का पीछा करने उतरी न्यूजीलैंड की टीम इसके जवाब में बीजे वाटलिंग (नाबाद 72), केन विलियमसन (58) और मार्टिन गुप्टिल (51) के अर्धशतकों के बावजूद 47 ओवर में 260 रन पर सिमट गई।

इस जीत के बाद मेजबान टीम ने पांच मैचों की शृंखला में 2-0 की बढ़त बना ली है और उसके पास बुधवार को सेंट किट्स में होने वाले तीसरे वनडे में शृंखला अपने नाम करने का मौका होगा।

गेल ने इस पारी के दौरान अपना 20वां वनडे शतक पूरा किया और ब्रायन लारा को पीछे छोड़कर वेस्टइंडीज की ओर से सर्वाधिक वनडे शतक लगाने वाले बल्लेबाज बने। मैन ऑफ द मैच सैमुअल्स ने तीसरा वनडे शतक पूरा किया।

Sunday, July 1, 2012

खेल से बड़े नहीं खिलाड़ी

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के महत्वाकांक्षी प्रयोग आईपीएल में मैच फिक्सिंग के आरोपी पांच क्रिकेटरों पर प्रतिबंध से इस खेल का काला पक्ष एक बार फिर समाचार माध्यमों की सुर्खियों में है। एक टीवी चैनल ने स्टिंग ऑपरेशन के जरिये यह काला पक्ष उजागर किया था कि कभी भद्र- जनों का खेल कहे जाने वाले क्रिकेट में अब ऐसे खिलाड़ी भी हैं जो पैसे की खातिर स्पॉट फिक्सिंग कर खेल को बेचने के लिए तत्पर रहते हैं। इस खुलासे के बाद तत्काल जब इन पांच खिलाडिय़ों टी पी सुधींद्र, शलभ श्रीवास्तव, मोहनीश मिश्रा, अमित यादव और अभिनव बाली को निलंबित किया गया था, तब न सिर्फ इन लोगों ने स्वयं को निर्दोष बताया था, बल्कि उनसे सहानुभूति के स्वर भी उभरे थे, लेकिन बोर्ड की भ्रष्टाचाररोधी इकाई द्वारा जांच के बाद अनुशासन समिति द्वारा इन पर प्रतिबंध से साफ है कि वाकई ये खेल के खिलाड़ी की बजाय कारोबारी बनने को लालायित थे। अनुशासन समिति के इस फैसले का पूर्व खिलाडिय़ों समेत कमोबेश सभी ने स्वागत किया है। यह इस बात का प्रमाण भी है कि क्रिकेट के दीवाने इस देश में लोग इस खेल की गिरती प्रतिष्ठा से चिंतित हैं। बेशक यह खेल के आकर्षण और रोमांच का ही परिणाम है कि लोग पैसा और समय खर्च कर उसे देखने स्टेडियम तक जाते हैं या फिर टीवी के सामने जम जाते हैं। कड़े संघर्ष वाले मैचों में हर गेंद और शॅाट पर दर्शकों के बीच से उठने वाला शोर खेल के प्रति उनके लगाव का ही प्रमाण है, पर जब पता चले कि सब कुछ पहले से फिक्स है तो वह खेल, उसकी प्रतिष्ठा और खेलï-प्रेमियों के लगाव के साथ विश्वासघात ही माना जायेगा। बेशक यह विश्वासघात उस टीम के साथ भी है, जिस टीम का ऐसे बिकाऊ खिलाड़ी प्रतिनिधित्व करते हैं।
इसलिए इस विश्वासघात की कठोरतम सजा ही मिलनी चाहिए, पर क्या आईपीएल के इन खिलाडिय़ों को हाल ही में दी गयी यह सजा कठोरतम है ? दरअसल आजीवन प्रतिबंध की सजा पाने वाले टी पी सुधींद्र के अलावा शेष चार खिलाडिय़ों को दी गयी सजा से तो लगता है कि उन्हें सस्ते में ही छोड़ दिया गया है। इनमें से भी एक शलभ श्रीवास्तव पर पंाच वर्ष का प्रतिबंध लगाया गया है तो शेष तीन पर एक-एक वर्ष का ही। तर्क यह दिया गया है कि टीपी सुधींद्र रुपयों की एवज में नो-बॉल फेंककर बाकायदा स्पॉट मैच फिक्सिंग में शामिल थे, जबकि शेष खिलाडिय़ों ने वैसा करने के लिए तैयार होने की ही बात कही थी। बेशक अपराध करने में और अपराध करने के लिए तैयार होने में तकनीकी रूप से फर्क है, लेकिन यह फर्क नीयत अैार मकसद नहीं, बल्कि मौका मिलने और मौके का इंतजार करने भर का है। इसलिए सजा में भी इतना बड़ा फर्क नहीं होना चाहिए। इसका आशय यह हरगिज नहीं है कि सुधींद्र पर लगाया गया आजीवन प्रतिबंध ज्यादा सख्त सजा है, बल्कि शलभ श्रीवास्तव, मोहनीश मिश्रा, अमित यादव और अभिनव बाली को भी अधिक सख्त सजा मिलनी चाहिए थी। ऐसी सोच महज क्रिकेट-प्रेमियों की ही नहीं है, बल्कि अनेक पूर्व खिलाडिय़ों का भी यही मानना है कि खेल को कलंकित करने की सोच भी रखने वाले किसी खिलाड़ी के लिए खेल में कोई जगह नहीं होनी चाहिए। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड और उसकी अनुशासन समिति यह तर्क दे सकती है कि अपराध किये बिना ही, महज उसके लिए तैयार होने के अपराध में ज्यादा सख्त सजा इन युवा खिलाडिय़ों का करिअर बर्बाद कर सकती थी, पर फिर यह सवाल अनुत्तरित रह जाता है कि बोर्ड को खेल से ज्यादा खिलाडिय़ों के भविष्य की चिंता क्यों है?
और वह भी उन खिलाडिय़ों की, जिनके लिए खेल साधना नहीं, बल्कि अधिकाधिक रुपया कमाने का धंधामात्र है? जो खिलाड़ी इस स्पॉट फिक्सिंग में पकड़े गये हैं, उनकी पहचान रणजी टा्रॅफी और चमक-दमक वाली आईपीएल ही है। उनमें से कौन कब भारतीय टीम तक पहुंच पायेगा—कह पाना मुश्किल है। जबकि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की सोच तो यह होनी चाहिए कि कोई भी खिलाड़ी खेल से बड़ा नहीं हो सकता, इसलिए खेल को दंाव पर लगाने वाले खिलाडिय़ों के लिए खेल में कोई जगह नहीं होनी चाहिए। किसी या कुछ खिलाडिय़ों के करिअर से बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है खेल की पवित्रता और प्रतिष्ठा। अगर खेल को कलंकित करने वालों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई कर सही संदेश नहीं दिया गया तो फिक्सिंग का यह रेाग एक दिन नासूर बन जायेगा। जरा याद करिए कि वर्ष 2000 में मैच फिक्सिंग के ही आरोप में देश के कप्तान रह चुके मोहम्मद अजहरुद्दीन और अजय शर्मा पर आजीवन, जबकि मनोज प्रभाकर और अजय जडेजा पर पांच वर्ष का प्रतिबंध लगाया गया था। कह सकते हैं कि वह सही कदम था, पर जब खेल और देश क ी टीम के हित को बेचने के आरोप में आजीवन प्रतिबंध वाले अजहर को देश का सत्तारूढ़ दल ही संसद में भेजकर सम्मानित करेगा, तो ऐसी ही प्रवृत्तियां प्रोत्साहित होंगी। शायद वही हो भी रहा है। यह भी अनायास नहीं है कि बोर्ड और उसकी महत्वपूर्ण समितियों पर भी ऐसे चेहरे काबिज हैं, जिनका खेल से कभी कोई संबंध नहीं रहा।

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